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Flute Manufacturing Process

 Flute Manufacturing Process

As you know, corrugated flutes are available in a variety of sizes such as A, B, C, E, F, etc. The flute has to be manufactured as per the specification of the box. We will have to manufacture the flute according to the BF of the paper and its GSM. To make the flute, 2 paper reels will be required whose specification will be as per the strength of our box. In the video below you can see how the flute is manufactured.

To make the corrugated board, we need 2 pieces of paper in the corrugated machine, 1 for the liner and, 1 paper for the flute, which can be glued together with glue. The corrugated machine is fitted with 2 reels, 1 reel for the liner, and 1 reel for the flute. These two reels are attached in such a way that 1 paper is pasted from above and the other paper gets converted into flute by the machine and sticks with the liner. To give the shape of the flute in the paper, the paper is passed through an iron cylinder in which the shape of the flute is made, and by giving heat, the paper converts its shape into the flute and sticks to the paper liner through the gum. On completion of this process, we get 2 papers glued, 1 liner, and 1 flute. We also call it fali in the local language, which is of 2 plies. A starch-based gum is used to make the corrugated box. The bonding of the liner and flute together in the paper is based on the hydrogen bonds between the molecules of starch.

The strength of the corrugated board is dependent on the bonding points of the starch in the paper. The strength of the board depends on the type of starch, the quality of the paper, the manufacture of the glue, the temperature, and the speed of the machine.

The strength of the corrugated board is dependent on the bonding quality of the paper.
Starch glue is soluble in water. If there is moisture in the environment, the starch glue loses its strength, which also reduces the strength of the corrugated board. To avoid this problem some additives have to be added to the starch glue. The strength of the board is very important in the manufacturing of any box and there are many ways to test its strength, such as ECT (Edge Crush Test), BCT (Box Crash Test), PAT (Pin Adhesive Test)

Starch for Corrugated Board

Starch is used to bond the liner and the flute together in the corrugated board. Starch is a natural polymer used for adhesives and thickeners. In a corrugated board, starch is used to hold the liner and flute together. To prepare starch adhesives, the starch powder is cooked with caustic soda and borax to form an opaque glue. This glue is applied by a corrugated machine to the tips of the flute, which is pasted by applying pressure on the liner paper. When the temperature is high in the corrugated machine (during drying due to heat) the starch adhesive gelatinizes, forming a strong bond on the corrugated board.
Gelatinization Temperature Gel Point: The temperature at which raw starch grains begin to absorb water and form a gel is called the gel point. The gel point of raw starch is 71-77 degrees centigrade. When caustic soda is mixed, the gel point decreases. The gelatinization temperature is 60-64 degrees centigrade.

फ्लूटस  को कैसे बनाया जाता है 

जैसा की आप जानते हैं  कि ,नालीदार फ्लूट कई प्रकार के साइज में उपलब्ध है जैसे कि ए, बी, सी, ई, एफ, आदि।बॉक्स की स्पेसिफिकेशन के अनुसार फ्लूट को मनुफक्चर  करना होगा। पेपर की  BF और उसकी GSM के अनुसार हमें फ्लूट की मैन्युफैक्चरिंग करने होगी। फ्लूट बनाने के लिए 2 पेपर की रील की आवशक्यता होगी जिसकी स्पेसिफिकेशन हमारे बॉक्स की स्ट्रेंथ के अनुसार होगी। ऊपर वीडियो में आप देख सकते हे की कैसे फ्लूट की मैन्युफैक्चरिंग होती हे। 

नालीदार बोर्ड को बनाने के लिए हमें करुगेटेड मशीन में 2 पेपर की आवश्यकता होती है, 1 लाइनर की और,  1 पेपर फ्लूट के लिए , जिसको आपस में गोंद से चिपका कर बना सकते हैं। करुगाटेड मशीन में 2 रील लगाते हैं ,1 रील लाइनर के लिए और 1 रील फ्लूट के लिए। इन दोनों रील्स को इस तरहे से लगाते  हैं  की 1 पेपर ऊपर से पेस्ट हो कर दूसरे पेपर के साथ मशीन के द्वारा फ्लूट में कन्वर्ट हो कर लाइनर के साथ चिपक जाता है। पेपर मे  फ्लूट की शेप देने के लिए पेपर लोहे का सिलेंडर में से पास होता है  जिसमे फ्लूट की शेप बानी होती है , और हीट देने से पेपर अपनी शेप को फ्लूट में कन्वर्ट कर देता है और गम के द्वारा पेपर लाइनर से चिपक जाता है। ये प्रक्रिया पूरी होने पर हमें 2 पेपर चिपके हुए मिलते हैं , 1 लाइनर  और 1 फ्लूट। इसको हम  लोकल भाषा में fali (फली) भी कहते हैं जो की 2 प्लाई की होती है। नालिदार बॉक्स को को बनाने के लिए स्टार्च आधारित गम का इस्तिमाल किया जाता है। पेपर  में आपस में लाइनर और फ्लूट का चिपकाव का आधार हाइड्रोजन बांड और स्टॉर्च के अणुओ के बीच में होता है। 

पेपर में स्टार्च के बॉन्डिंग पॉइंट्स के ऊपर ही नालीदार बोर्ड में ताकत आश्रित होती है। बोर्ड की ताकत इस सब पर आश्रित है कि, स्टार्च किस प्रकार की है, पेपर किस क्वालिटी का है, गोंद  का निर्माण कैसे हुआ है, तापमान कितना हे और मशीन की स्पीड कितनी है। 

नालीदार बोर्ड की ताकत इस पर आश्रित हे कि पेपर पर बॉन्डिंग क्वालिटी कैसी  है। स्टार्च ग्लू पानी में घुलनशील होती है। अगर वातावरण में नमि है, तो स्टार्च ग्लू अपनी ताकत कम कर देती है, जिससे नालीदार बॉर्ड की ताकत भी काम हो जाती है। इस समस्या से बचने के लिए स्टार्च ग्लू में कुछ एडिटिव्स को मिलाना पड़ता है।  किसी भी बॉक्स की मैन्युफैक्चरिंग में बोर्ड की ताकत बहुत महत्त्व रखती है और इसकी ताकत टेस्ट करने के भी कई तरीके हैं जैसे की ईसीटी (एज क्रश टेस्ट), बीसीटी (बॉक्स क्रैश टेस्ट), पीएटी (पिन चिपकने वाला टेस्ट) 

नालीदार बोर्डों के लिए स्टार्च 

करुगेटेड बोर्ड में लाइनर और फ्लूट को आपस में चिपकने के लिए स्टार्च का उपयोग किया जाता है। स्टार्च प्राकृतिक पॉलीमर है  जो की चिपकने और मोटा करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। नालीदार बोर्ड में लाइनर और फ्लूट को एक दूसरे से  चिपकने के लिए स्टार्च का प्रयोग किया जाता है। स्टार्च adhesives को तैयार करने के लिए स्टार्च पाउडर को कास्टिक सोडा और बोरेक्स  के साथ पकाया जाता है जिससे एक opaque ग्लू बनता है। यह ग्लू करुगाटेड मशीन के द्वारा फ्लूट की टिप्स पर लगता है , जो की लाइनर पेपर पर दबाव डालकर चिपकाया जाता है। कारुगाटेड मशीन में तापमान अधिक होने से (गर्मी के कारण सुखाने के दौरान) स्टार्च चिपकने वाला जिलेटिनाइज़ हो जाता है जिससे नालीदार बोर्ड पर एक मजबूत बंधन बनाता है। 

जिलेटिनाइजेशन तापमान (जेल प्वाइंट) :- जिस तापमान पर कच्चे स्टार्च के दाने पानी को अवशेषित करना शुरू करते हैं और उसका जेल बनाते हैं उसको जेल पॉइंट कहते है। कच्चे स्टार्च का जेल पॉइंट 71 -77 डिग्री सेनटिग्रेड होता है। जब कास्टिक सोडा मिक्स करते है तब जेल पॉइंट कम  हो जाता है। जिलेटिनाइजेशन तापमान 60-64 डिग्री सेनटिग्रेड होता है।


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