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ECT Vs BS

What is Edge Crush Test (ECT) it's a necessity?

Edge crush test is done for the strength of the box to provide protection of the
goods when the products are transported. By doing an edge crush test, it will be known how the quality of your box is and this test confirms that your product will go to the destination properly. The Edge Crush Test (ECT) is performed in the laboratory to determine the strength required to crush the corrugated box. This test shows how much force is used to crush the corrugated box. When we do an edge crush test, a load is put on the corrugated box till the box is crushed. This test is used to calculate the maximum compression force that will affect the product.

Benefits of Edge Crush Test

The EC test is essential for cardboard and box manufacturers to control the quality and protectability of their raw materials. The biggest advantage of ECT is that the box gets protection so that it does not get crushed in transportation. Through this test, we can check the paper properly and avoid using too heavy or expensive material. We use the same paper which maintains the safety of the box.
The ECT test is used to test single wall, double wall, and triple wall corrugated cardboard. Through this test, it gives information about the maximum force that is applied before crushing the sample sheet of corrugated cardboard.

Testing Process

  1. For this test, the sample is placed perpendicularly under a compression plate.
  2. Now load on this sample slowly (should not be more than 10N) till the supple is crushed
  3. Following is the formula to calculate edgewise crush resistance (R) (in kN/m):-
Edgewise crush resistance (R) is calculated in kN/m, where F is the maximum load in newtons and L is the length of the sample in mm.
R=(F/L)kN/m
In this formula:-
F = maximum load (in newtons)
L = Length of the sample (in MM)

Edge Crush Test vs Burst Strength Test

When we put the product in the corrugated box, and the box goes for shipping, there is a lot of pressure on the box, which affects the product in the box. Which paper is appropriate to put in the box according to the weight of the product and what should be its GSM, and BF. If we use BF and GSM properly then there will be no problem with our product, and our product will be delivered properly in shipping also.

The paper we have used has some tests to check its strength in the box, so that we get to know the quality of the box, how much weight is there in that box. The names of those tests are:-
  1. Edge Crush Test (ECT)
  2. Bursting Strength Test (BS) (Mullen Burst Test)
Let us see what is the difference between these two tests, and which one should we test for the box.

Edge Crush Test
Edge crush test is used when there is pressure on the box and there is a possibility of damage to the product when we stacking or palletizing the box, due to which the product may be damaged.

The edge crush test determines the amount of force a corrugated box can withstand and the force it is able to withstand on the sides of the box and gives an idea of the stacking strength of the carton.

एज क्रश टेस्ट क्या है और क्यों जरूरी है?

एज क्रश टेस्ट प्रोडक्ट्स को ट्रांसपोर्टेशन करने पर माल की सुरक्षा प्रदान करने के लिए बॉक्स की कितनी ताकत है उसके लिए किया जाता है। एज क्रश टेस्ट करने से ये पता चलता है की आपके बॉक्स की क्वालिटी कैसी है और ये टेस्टकन्फर्म  करता हे कि आपका प्रोडक्ट ठीक से डेस्टिनेशन पर चला जायेगा। एज क्रश टेस्ट (ईसीटी) प्रयोगशाला में किया जाता है, जिससे ये पता चलता है कि
नालीदार बॉक्स को क्रश करने के लिए कितनी ताकत लगती है। इस टेस्ट ये पता चलता है कि नालीदार बॉक्स को क्रश करने पर  कितनी ताकत लगती है। जब हम एज क्रश टेस्ट करते हैं उसमे नालीदार बॉक्स पर तब तक भार डाला जाता है जब तक बॉक्स रश न हो जाये। इस टेस्ट से अधिकतम कम्प्रेशन बल की कैलकुलेशन की जाती है जिससे  प्रोडक्ट के ऊपर असर  पड़ता है। 

एज क्रश टेस्ट (ईसीटी) के लाभ

EC टेस्ट कार्डबोर्ड और बॉक्स निर्माताओं  के लिए आवशयक है जिससे वो क्वालिटी कण्ट्रोल कर सकते हैं  और अपने रॉ मटेरियल की सुरक्षात्मक क्षमता का भी पता चला सकते हैं। ईसीटी का सबसे बड़ा फायदा ये है  की  बॉक्स ट्रांसपोर्टेशन में क्रश न हो उसके लिए प्रोटेक्शन हो जाती है। इस टेस्ट के द्वारा है कागज की ठीक से जाँच कर लेते हैं  और ज्याद हैवी या महंगा मटेरिल लगाने से बच जाते हैं। हम वो ही कागज प्रयोग करते हैं  जिससे बॉक्स की सेफ्टी बानी रहे। 
ECT टेस्ट नालीदार कार्डबोर्ड की सिंगल वाल, डबल वाल, और ट्रिप्पले वाल का टेस्ट करने के लिए किया जाता है।  इस टेस्ट के द्वारा नालीदार कार्ड बोर्ड के संपेल शीट के क्रश होने से पहले जो अधिकतम फ़ोर्स लगती है उसकी जानकारी देता है। 

परीक्षण प्रक्रिया :-

  1. इस टेस्ट केलिए सैंपल को कम्प्रेशन प्लेट के नीचे परपेंडिकुलर रखा जाता है। 
  2. अब इस सैंपल पर भार धीरे धीरे डालते हैं (10N से अधिक नहीं होना चाहिए) जब तक सैंपल  क्रश न हो जाए । 
  3. एड्जवाइज क्रश रेजिस्टेंस (R) (इन kN/m) को कैलकुलेट करने के लिए नीचे फार्मूला है :-
एडगेवाइज क्रश रेजिस्टेंस (R) की गणना kN/m में की जाती है, जहां F न्यूटन में अधिकतम भार है और L मिमी में नमूने की लंबाई है। 
R=(F/L)kN/m
इस फॉर्मूले में :-
F = अधिकतम भार (इन newtons )
L = सैंपल की लम्बाई (इन MM )

एज  क्रश टेस्ट (ECT) vs. बर्स्टिंग  स्ट्रेंथ टेस्ट (BS)

जब  हम नालीदार बॉक्स मे  प्रोडक्ट डालते है , और बॉक्स शिपिंग के लिए जाता है  तो बॉक्स के ऊपर बहुतसे  दबाव पड़ते है, जिसका असर बॉक्स मे  प्रोडक्ट के ऊपर पड़ता है। बॉक्स में प्रोडक्ट के वेट की हिसाब से कोनसा पेपर लगाना ठीक है और उसकी GSM, और BF कितनी होनी चाहिए। अगर हम BF और GSM  ठीक से use करेंगे तो हमारा प्रोडक्ट पर कोई भी समस्या नहींआएगी, और हमारा प्रोडक्ट शिपिंग में भी ठीक से deliver हो  जायेगा। 
हमने जो पेपर use  किया हे बॉक्स में उसकी स्ट्रेंथ चेक करने के लिए कुछ टेस्ट होते हैं,  जिससे हमें बॉक्स की क्वालिटी का पता चलता हे कि उस बॉक्स में भार उठाने की कितनी क्षमता है। उन टेस्ट के नाम हैं :-
  1. एज क्रश टेस्ट (ECT)
  2. बर्स्टिंग स्ट्रेंथ टेस्ट (BS) (मुल्लेन बर्स्ट टेस्ट)
हम देखतें हैं कि इन दोनों टेस्ट मेँ क्या डिफरेंस है, और बॉक्स के लिए हमें कोनसा टेस्ट करना चाहिए। 

एज  क्रश टेस्ट (ECT)
एज क्रश टेस्ट का use  इसीलिए करते हैं जब बॉक्स पर दबाव पड़ता है और उसमे प्रोडक्ट के डैमेज होने की सम्भावना होती है जब हम बॉक्स की स्टैकिंग या पैलेटाइजिंग करते हैं , जिसके कारण प्रोडक्ट डैमेज हो सकता है। 
एज क्रश टेस्ट करने से पता चलता है  कि एक नालीदार बॉक्स कितना फ़ोर्स  बर्दाश कर सकता है और बॉक्स के किनारों पर कितना बल झेलने में सक्षम है और इससे कार्टन की स्टैकिंग ताकत का पता चलता है।

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